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गुरुवार, 11 जुलाई 2013

जानें थायराइड के बारे में -भाग 1

download.jpgजीवनशैली में  आ रहा परिवर्तन स्वास्थ्य से सम्बंधित नित नयी समस्याओं को सामने ला रहा है I ऐसी ही कई समस्याओं में  से एक समस्या है थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या I  आजकल यह समस्या एक आम समस्या बनकर सामने आ चुकी है I  लगभग पैंतीस की उम्र को पार करते ही महिलाओं में  इस समस्या के पाए जाने का प्रतिशत तीस से पैंतीस तक हो चुका है I आज हम इसी समस्या से सम्बंधित जनोपयोगी जानकारी को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं :-
क्या है यह थायराइड ग्रंथि ? 
गर्दन के सामने वाले हिस्से में  स्थित तितली के आकार की अन्तःस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि के नाम से जानी जाती है I इस ग्रंथि की खासबात यह है की यह एक हार्मोन  को उत्पन्न करती है जिससे हमारे शरीर  के मेटाबोलिज्म (चयापचय ) की क्रिया नियंत्रित होती है I चयापचय की क्रिया द्वारा ही हमारे शरीर को ऊर्जा को  खपत करने में मदद मिलती है I थायराइड ही एक ऐसी ग्रंथि है जो चयापचय की क्रिया को धीमी या तेज कर सकती है , इन सबके लिए इस ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन  “थायरोक्सिन”  जिम्मेदार होता है I इस  हार्मोन्स  के घटने और बढ़ने के कारण  अनेक लक्षण उत्पन्न होने लगते है I
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण ?
*यदि आपके वजन में अचानक घटने या बढ़ने जैसा परिवर्तन सामने आ रहा हो तो यह थायराइड ग्रंथि से समबन्धित समस्या की और आपका ध्यान दिला सकता है I वजन का अचानक बढ़ जाना“थायरोक्सिन" हार्मोन  की कमी (हायपो-थायराईडिज्म) के कारण उत्पन्न हो सकता है,इसके विपरीत यदि "थायरोक्सिन" की आवश्यक मात्रा से अधिक  उत्पत्ति होने से (हायपर-थायराईडिज्म ) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें अचानक वजन कम होने लग जाता है Iइन दोनों ही स्थितियों में  से हायपो-थायराईडिज्म एक आम समस्या के रूप में  सामने आता है I
*गर्दन के सामनेवाले हिस्से में अचानक सूजन उत्पन्न हो जाना भी आपको थायराइड से सम्बंधित समस्या की और इंगित करता है Iहायपो या  हायपर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में गोएटर (घेघा )बन सकता है I हाँ, कभी-कभी गर्दन में सूजन का कारण थायराइड कैंसर या नोड्यूल्स अथवा ग्रंथि के अन्दर  किसी  लम्प  के बन जाने के कारण भी हो सकता है , कभी-कभी इसका थायराइड ग्रंथि से कोई सम्बन्ध नहीं होता है I
*हृदय गति में अचानक आया परिवर्तन भी थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है I हायपो -थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर धीमी हृदयगति होने की शिकायत करते हैं जबकि इसके विपरीत हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित तीव्र हृदयगति से पीड़ित होते हैं I तीव्र हृदयगति के कारण अचानक रक्तचाप बढ़ जाता है तथा रोगी धड़कन (पाल्पीटेशन ) बढ़ने की समस्या से जूझता है I
*थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के लगभग सभी अंगों पर होता है जिससे व्यक्ति का एनर्जी -लेवल एवं मूड प्रभावित होता है I हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर थकान,आलस्य,जोड़ों में दर्द ,सूजन एवं अवसाद जैसे लक्षणों से पीड़ित होता है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति  घबराहट,बैचैनी,अनिद्रा एवं उत्तेजित रहने जैसे लक्षणों से दो-चार होता है I
*बालों का अचानक झड़ना भी थायराइड हार्मोस के बेलेंस के बिगड़ने की और इंगित करता है,हायपो या हापर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों  में  बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती है I
*थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या का सीधा सम्बन्ध शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने से होता है I हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित रोगी को समान्य से अधिक ठण्ड लगती है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को अधिक गर्मी लगती है साथ ही पसीना भी अधिक आता है Iइसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण हैं जिससे  हायपर-थायराईडिज्म को   पहचाना जा सकता है जैसे :त्वचा का रुक्ष होना,हाथों का सुन्न (NUMBNESS ) हो जाना या हाथ-पाँव में चुनचुनाहट (TINGLING )  होना आदि...
इसी प्रकार हायपर-थायराईडिज्म को भी कुछ अतिरिक्त लक्षणों से पहचाना जा सकता है जैसे :मांसपेशियों का कमजोर पड़ना,कम्पन होना ,दस्त लग जाना,देखेने में  परेशानी होना और स्त्रियों में  मासिक-चक्र का अनियमित होना I
*कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण  स्त्रियों में मासिक-चक्र बदल जाता है जिससे मेनोपाज का भ्रम उत्पन्न होता है अतः ऐसी स्थिति में रक्त के नमूने से की गयी थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता की जांच इस भ्रम को दूर कर देती है I
थायराइड की जांच कब आवश्यक है ?
*प्रत्येक व्यक्ति को पैंतीस वर्ष के बाद प्रत्येक पांच वर्षों में  एक बार स्वयं के थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता की जांच अवश्य ही करवा लेनी चाहिए ,खासकर उनलोगों में  जिनमें इस समस्या के होने की संभावना अधिक हो उन्हें अक्सर जांच करवा लेनी चाहिए I हायपो-थायराईडिज्म महिलाओं में 60  की उम्र को पार कर जाने पर अक्सर देखा जाता है ,जबकि हायपर-थायराईडिज्म 60 से ऊपर की महिलाओं और पुरुषों दोनों में  ही पाया जा सकता है I हाँ ,दोनों ही स्थितियों में रोगी  का  पारिवारिक इतिहास अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू होता है I
images.jpgथायराइड नेक-टेस्ट क्या है ?
आईने में  अपने गर्दन के सामने वाले हिस्से पर अवश्य गौर करें और यदि आपको कुछ अलग सा महसूस हो रहा हो तो चिकित्सक से अवश्य ही परामर्श लें I अपनी गर्दन को पीछे की और झुकायें,थोड़ा पानी निगलें और कॉलर की हड्डी के ऊपर एडम्स-एप्पल से नीचे कोई उभार नजर आये तो इस प्रक्रिया को  एक दो बार दुहरायें और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें I
थायराइड की समस्या को कैसे जाना जाता है ?
यदि आपके चिकित्सक को आपके थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित किसी समस्या से पीड़ित होने का शक उत्पन्न होता है तो आपके रक्त की जांच ही एकमात्र   सरल उपाय है I टी .एस .एच . (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) के स्तर की जांच इस में महत्वपूर्ण मानी जाती है I टी .एस .एच. (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) एक मास्टर हार्मोन  है जो थायराईड ग्रंथि पर अपना नियंत्रण बनाए रखता है I यदि टी. एस .एच .(थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) का स्तर अधिक है तो इसका मतलब है आपकी थायराइड ग्रंथि कम काम (हायपो-थायराडिज्म ) कर रही है   और इसके विपरीत  टी. एस .एच  (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) का स्तर कम होना थायराइड ग्रंथि के हायपर-एक्टिव होने (हायपर-थायराईडिज्म) की स्थिति की और इंगित करता  है I चिकित्सक इसके अलावा आपके रक्त में थायराइड हारमोन टी .थ्री .एवं टी .फोर . की जांच भी करा सकते है I
हाशिमोटो-डिजीज के कारण उत्पन्न हायपो -थारायडिज्म क्या है ?
हायपो -थारायडिज्म का एक प्रमुख कारण हाशिमोटो-डिजीज  होता है,यह एक ऑटो-इम्यून-डीजीज है जिसमें
शरीर खुद ही थायराइड ग्रंथि को नष्ट करने लग जाता है जिस कारण  थायराइड ग्रंथि “थायराक्सिन”  का निर्माण नहीं कर पाती है I इस रोग का पारिवारिक इतिहास भी मिलता है I
 हायपो-थायराईडिज्म के अन्य कारण क्या हैं ?
*पीयूष ग्रंथि (PITUITARY GLAND )  टी. एस .एच (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) को उत्पन्न करती है जो थायराइड की कार्यकुशलता के लिए जिम्मेदार होता है अतः पीयूष ग्रंथि (PITUITARY GLAND ) के पर्याप्त मात्रा में  टी. एस .एच    (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) उत्पन्न न कर पाने के कारण भी हायपो-थायराईडिज्म उत्पन्न हो सकता है I इसके अलावा थायराइड ग्रंथि पर प्रतिकूल असर डालने वाली दवाएं भी इसका कारण हो सकती हैं I
230px-proptosis_and_lid_retraction_from_graves'_disease.jpgग्रेव्स डीजीज के कारण  उत्पन्न हायपर-थायराईडिज्म क्या है ?
हायपर-थायराईडिज्म का एक प्रमुख कारण ग्रेव्स डीजीज होता हैI यह भी एक ऑटो-इम्यून डीजीज है जो थायराइड ग्रंथि पर हमला करता है  इससे थायराइड ग्रंथि से  “थायराक्सिन” हार्मोन का निर्माण बढ़ जाता है और हायपर-थायराईडिज्म की स्थिति पैदा हो जाती है जिसकी पहचान व्यक्ति की आँखों को देखकर की जा सकती है जो नेत्रगोलक से बाहर की ओर निकली सी प्रतीत होती हैं I
थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी से क्या उपद्रव पैदा हो सकते हैं ?
इस ग्रंथि की कार्यकुशलता में  आयी गड़बड़ी को जान-बूझकर अनदेखा कर देने पर हायपो -थारायडिज्म की स्थिति में रक्त में  कोलेस्टरोल की मात्रा बढ़ जाती है, फलस्वरूप व्यक्ति के स्ट्रोक या हार्ट-एटैक से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है I कई बार हायपो -थारायडिज्मकी स्थिति में रोगी में  बेहोशी छा  सकती है तथा शरीर का तापक्रम खतरनाक  स्तर तक गिर जाता हैI इसके विपरीत यदि  हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित रोगी की चिकित्सा नहीं की जाय तो रोगी के हृदय रोग से पीड़ित होने के साथ-साथ हड्डियों के भुरभुरे होने का ख़तरा बढ़ जाता है I
(अगले क्रम में हम इस समस्या से बचाव एवं चिकित्सा के पहलूओं पर चर्चा करेंगे …....)

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